मुजफ्फरपुर। न मायका और न ससुराल, स्थानांतरण में शिक्षकों का रहेगा वही हाल। मायका ही नहीं, ससुराल भी शिक्षक नौकरी करने नहीं जा सकेंगे। सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों की पीड़ा इसे लेकर फूट पड़ी है। सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। स्थानांतरण के लिए दिए गए फॉर्मेट में पुरुषों के साथ ही महिला शिक्षकों को भी पति या पत्नी का गृह जिला भरना अनिवार्य किया गया है।
ट्रांसफर को लेकर इन पंचायतों या अनुमंडलों का विकल्प पुरुष और महिला शिक्षक दोनों को ही नहीं मिल रहा है।
पुरुषों के साथ ही महिला शिक्षिकाओं का कहना है कि इस बार भी उनका वनवास खत्म नहीं होगा। जिले में सात हजार से अधिक सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों की यह पीड़ा है। महिला शिक्षिकाओं को स्थानांतरण के विकल्प में पंचायत, नगर निकाय का विकल्प दिया गया है मगर वे स्वयं की और पति की गृह पंचायत या नगर निकाय का स्कूल विकल्प के तौर पर नहीं चुन सकती हैं। यही नहीं, वर्तमान में पदस्थापित पंचायत या नगर निकाय का विकल्प भी वे स्थानांतरण में नहीं दे सकतीं। यही शर्त पुरुष शिक्षकों पर भी लागू है कि वे गृह अनुमंडल या पत्नी का गृह अनुमंडल नहीं दे सकते हैं।
इन महिला शिक्षिकाओं को सबसे ज्यादा परेशानी।
मीनापुर के एक स्कूल में कार्यरत शिक्षिका निकिता ने कहा कि मैं 2005 से ही नौकरी कर रही हूं। उस समय अविवाहित थी। 2008 में शादी हुई। आज मेरे दो बच्चे 8वीं और 10वीं में हैं, मगर आज तक मैं मायके में ही रहकर नौकरी रही थी। अब जब स्थानांतरण का मौका मिला तो लगा कि
ससुराल जाऊंगी मगर इस बार भी यह होता नहीं दिख रहा है। यह पीड़ा एक की नहीं, बल्कि दर्जनों की है। महिलाओं ने कहा कि मायके में कम से कम घरवालों का साथ था, मगर अब तो वह भी छूट जाएगा। महिलाओं के साथ इस बार पुरुष शिक्षकों को भी अपना और पत्नी दोनों का ही गृह अनुमंडल छोड़ कर जाना पड़ेगा।
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