बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ कागजी काम-काज भी ई-डिजिटल सिस्टम से होगा। इसके लिए 76 हजार सरकारी स्कूलों में हेडमास्टर, प्रभारी और शिक्षा अधिकारियों को टैबलेट दिया जाएगा। इसकी सुरक्षा एवं रखरखाव की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक की होगी। टैबलेट खरीद की पूरी योजना शिक्षा विभाग ने तैयार की है। वित्त विभाग से स्वीकृति भी मिल चुकी है। अब शिक्षा विभाग ने टैबलेट खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रधानाध्यापक को टैबलेट देने की वजह पढ़ाई के साथ ही मुख्यालय से मॉनिटरिंग भी है। जिला और मुख्यालय के अधिकारी टैबलेट से ही प्रधानाध्यापक व शिक्षकों की मीटिंग व प्रशिक्षण का काम
करेंगे। कुल 161138 टैबलेट खरीदे जाएंगे। इसमें 225 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। पहले एक टैबलेट की खरीद के लिए 10 हजार रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन बाद टैबलेट में फेरबदल किया गया। इससे प्रति टैबलेट 4 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च होगा।
कोर्स भी अपलोड होंगे
इस टैबलेट में 1 से 12वीं तक के कोर्स अपलोड किए जाएंगे। साथ ही मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट ऐप को अपडेट किया जाएगा। टैबलेट पर ई-शिक्षा कोष पोर्टल, शिक्षकों की डिजिटल जानकारी, मिड-डे मील का डाटा सहित अन्य जानकारी अपलोड रहेगी। टैबलेट पर प्रधानाध्यापक एमआईएस डाटा, यू-डाइस डाटा की जानकारी लेने के साथ ही विभागीय मेल व अन्य कार्य करेंगे ।उसमें सिम प्रधानाध्यापक लगाएंगे। सिम रिचार्ज का खर्च कंपोजिट स्कूल ग्रांट की राशि से जाएगा। टैबलेट वितरण के समय इस पर विस्तार से स्कूलों को बताया जाएगा। बाहरी ऐप इन्स्टॉल किया जाएगा। टैबलेट आपूर्ति वाली कंपनी सभी ऐप को इन्स्टॉल करेगी।
पढ़ाई के लिए पोर्टल से जानकारी जुटाई जाएगी
सरकारी स्कूलों में टैबलेट से स्मार्ट क्लासेज चलाई जाएंगी। डिजिटल पोर्टल से छात्रों को पढ़ाने और सिखाने लायक जानकारी जुटाई जाएगी।
टैबलेट से ही छात्रों को विशेष अवसर पर पढ़ाया जाएगा। साथ ही स्कूल की अन्य गतिविधियों में भी इसका इस्तेमाल होगा। तय मापदंड के अनुसार 8.7 इंच डिस्प्ले साइज और टच स्क्रीन वाला टैबलेट होगा। इसमें 64 जीबी इंटरनल स्टोरेज होगा। 4 जीबी या उससे अधिक क्षमता का रैम होगा। मेन कैमरा 8 मेगा पिक्सल रियर विद आटोफोकस एंड फ्लैश लाइट वाला होगा। जबकि सेल्फी कैमरा 2 मेगा पिक्सल का होगा। बैटरी की क्षमता 5000 एमएएच की होगी।
स्कूलों को अपडेट किया जा रहा है। जिससे प्रधानाध्यापक, शिक्षक को पढ़ाने में आसानी हो। इसके साथ ही कागजी काम-काज डिजिटल होने से मुख्यालय स्तर से उसकी निगरानी भी हो सके।
- सुनील कुमार, शिक्षा मंत्री
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