बरहट, निज संवाददाता। शिक्षा के मंदिर में काले कारोबारियों के अवैध घुसपैठ से शिक्षा मंदिर दागदार हुआ है। इन काले कारोबारियों को शह देने में विभाग के अधिकारी की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि विभागीय जांच में खुलासा के बाद बरहट के तीन शिक्षकों पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है। विभाग ने इस आशय को लेकर नियोजन ईकाई बरहट को पत्राचार करते हुए विधि सम्मत कारवाई करने की बात कही है। बरहट में फर्जी सर्टिफिकेट पर कार्यरत सभी शिक्षक एक ही विद्यालय उत्रमित मध्य विद्यालय नगदेवा की शिक्षिका अनु कुमारी, रविन्द्र कुमार रवि तथा गोपाल कुमार बताए गए हैं। शायद इन शिक्षकों को भी कारवाई का डर सता गया जिस कारण ये तीनों बिना सूचना महीनों से स्कूल से गायब हैं।
विभागीय जांच में पाई गई गड़बड़ी: सूबे की सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिए पूर्व में बिना परीक्षा लिए शिक्षक की बहाली की थी। इस बहाली प्रिया में पंचायत के मुखिया व पंचायत सचिव की बड़ी भूमिका थी। इसी बहाली त्रिरया में वर्ष 2015 में प्राथमिक विद्यालय कैरीबांक मुसहरी में शिक्षिका अनु कुमारी पिता अशोक साह, मां चंचला देवी, ग्राम- खडाईच, पोस्ट- खैरा, जमुई, दूसरे
शिक्षक रविन्द्र कुमार रवि पिता बासुदेव दास, माता कुसुम देवी, ग्राम नावाडीह, पोस्ट-मथुरापुर, थाना- सिकंदरा तथा इनका पत्राचार पता ग्राम धोबियाकुडा, पोस्ट बाराजोर, थाना-झाझा, जमुई तथा तीसरे शिक्षक गोपाल कुमार, पिता उपेंद्र प्रसाद, ग्राम पोस्ट- बलीपुर, थाना- पिपरिया, जिला- लक्खीसराय को पंचायत के मुखिया व पंचायत सचिव द्वारा बहाल किया गया। तकरीबन आठ नौ साल इन शिक्षकों ने विभाग की आंखों में धूल झोंकते लाखों रुपए वेतन मद का उठाया। विभाग द्वारा जब सभी शिक्षकों का सर्टिफिकेट आन लाइन लोड कराया गया तो इन शिक्षकों ने भी अपना सर्टिफिकेट लोड किया।
एक सर्टिफिकेट पर कई जगह कर रहे हैं नौकरी
विभागीय सूत्रों की मानें तो जांच में खुलासा हुआ कि गोपाल कुमार के सर्टिफिकेट पर नवसृजित प्राथमिक विद्यालय हुसैन चक, बख्तियारपुर में भी शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि रविन्द्र कुमार रवि के नाम पर प्राथमिक विद्यालय नगदेवा के अलावा प्राथमिक विद्यालय अनुसूचित टोला अकौना, शेखपुरा तथा मुंगेर जिला के संग्रामपुर में भी कार्यरत बताए गए हैं। जबकि अनु कुमारी के नाम पर 6 जगहों पर शिक्षिका कार्यरत बत बताई गई है। अब जांच का विषय यह है कि इसमें कौन सही है और कौन गलत। इतने साक्ष्य के बावजूद इन शिक्षकों की बर्खास्तगी व सर्टिफिकेट केस नहीं होना विभागीय उदासीनता को दर्शाता है.
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