बिहार के विभिन्न जिलों में कार्यरत 40 हजार नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी नहीं बनना चाहते है। इसकी वजह ट्रांसफर, अनुभव की अनदेखी करके उसे काउंट नहीं करना, अधिक उम्र और वेतन की अनियमितता है। इस कारण सक्षमता परीक्षा 3 में केवल 32011 शिक्षकों ने आवेदन किया है। इसमें 62.66 फीसदी आवेदन जिलास्तर से अप्रूव्ड हो गए हैं। सभी जिलों को मिलाकर 19918 आवेदन अप्रूव्ड हैं। 12 हजार शिक्षकों के निर्धारित अर्हता नहीं होने की वजह से फॉर्म रिजेक्ट कर दिया गया। शिक्षकों का कहना है कि राज्यकर्मी का लाभऐसे शिक्षकों के लिए है, जिनकी नियुक्ति 8 से 12 वर्ष के बीच में हुई है। जबकि 2006-07 के शिक्षक रिटारमेंट के करीब है। रिटारमेंट के बाद पेंशन की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में नियोजित शिक्षक के रुप में ही घर के पास काम करना आसान है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से तीसरे चरण की सक्षमता परीक्षा को लेकर तैयारी चल रही है। टीआरई 1,2,3 की वजह से 70 हजार नियोजित शिक्षक रह गए है।
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